Book Title: Nayvimarsh Dwatrinshika
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 108
________________ करेड़ाख्ये शुभे तीर्थे, __ अजनस्य विधिः कृता। पार्वा दिजिनविम्बानां, प्रतिष्ठायाः महोत्सवे ॥Rem सरलार्थ करेड़ा नाम के उत्तम तीर्थ में अंजनशलाका आदि विधि के साथ में प्रभु श्रीपार्श्वनाथ आदि अनेक जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा महोत्सव समयावधि में महान् उत्सव एवं उल्लास के समय......।।२६।। रचितञ्च कृता भाषा, गद्य-पद्यान्वयान्विताः। नयविमर्शग्रन्थोऽयं, सर्वेषां तावज्ञानदः॥३०॥ सरलार्थ-- मैंने संस्कृत गद्य-पद्यान्वय से युक्त सबको तत्त्वज्ञान देने वाले इस 'नयविमर्श' नामक ग्रन्थ की रचना की है। [इसका हिन्दो भाषा में सरलार्थ, पद्यानुवाद तथा भावानुवाद भी किया है] ॥३०॥ ... नयविमर्शद्वात्रिशिका-८७

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