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इस लघुग्रन्थ को प्रकाशित करने में धर्मप्रभावक परमपूज्य आचार्यवर्य श्रीमद्विजयदक्षसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्यरत्न वयोवृद्ध पूज्यमुनिराज श्रीअरिहन्तविजयजी म. सा. के सदुपदेश से, राजस्थान के जावालनगर में श्रीजैनश्वेताम्बर मूत्तिपूजक संघ ने अपनी सेठ जिनदास धर्मदास की पेढ़ी द्वारा ज्ञानखाता में से द्रव्य-सहायता प्रदान की है। एतदर्थ पूज्यपाद आचार्यदेवश्री, पूज्य मुनिराज श्रीजिनोत्तमविजयजी म. सा०, पूज्य मुनिराजश्री अरिहन्तविजयजी म. सा० का वन्दनापूर्वक तथा द्रव्यसहायक श्री जावालसंघ का एवं मुद्रक हिन्दुस्तान प्रिण्टर्स, जोधपुर का प्रणमपूर्वक आभार प्रदर्शित करते हैं ।
-प्रकाशक
- चौदह -