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शिव
पुण्डरीक
शुक
शूकरी
शैलसुता
शैलूष
शैव
श्वेत सर्प
सर्प
सिंह
सीता
सुरभि
सोम
शंकरजी
श्वापद (बघेरा ) श्वेत कमल
तोता
शिरीषवृक्ष
वाराह कान्ता
मालकांगनी
बिल्व वृक्ष
धतूरा
वरुण वृक्ष
नाग केशर
रक्त सैंजने का वृक्ष
सूअरी
पार्वती
( १५३ )
नट
शिव का उपासक
धौला सर्प
साँप
शेर
जानकीजी
गौ
चन्द्रमा
गुग्गुल, काल धतूरा, पारा
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मदिरा
सुवर्ण, गन्धक, चम्पक वृक्ष, जाति फल वृक्ष
काँजी
जैन साहित्य में प्रयुक्त मांस मत्स्यादि शब्दों का वास्तविक अर्थ
मांस, मत्स्य, पुद्गल, मड, प्रासुक, आमिष और मद्य शब्दों का प्रयोग तथा स्पष्टीकरण ।
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