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( ३०८ ) नवमें में नव-नव, दशवें में दश-दश भोजन पानी लेने का विधान है। इसमें उपवास के दिन एक सौ और पारणा के दिन एक सौ मिलकर छः मास बीस दिन में यह प्रतिमा तप पूरा होता है। ___इन चारों प्रतिमातपों की संलग्न आराधना एक वर्ष, सात मास, अठारह दिन में होती हैं ।
लघु सर्वतो भद्र तप? लघु सर्वतो-भद्रतप की एक परिपाटी में तपोदिन पचहत्तर और पारणा पचीस होते हैं। इसी प्रकार चारों परिपाटियों में समझ लेना चाहिए । एक परिपाटी तीन मास दश दिन में पूरी होता है । सम्पूर्णतप एक वर्ष एक मास दश दिन में पूरा होता है। इस तप की चारों परिपाटियों में पारणे क्रमशः सर्वकाम गुणित, निर्विकृत, निर्लेप और आयंविल से किये जाते है। __लघु सर्वतो-भद्र करने वाला श्रमण एक एक उपवास पारणा, दो उपवास पारणा, तीन उपवास पारणा, चार उपवास और पारणा, करके फिर ३, ४, ५, १, २, उपवास करके पारणा करेगा। इसी प्रकार ५, १, २, ३, ४, तथा २, ३, ४, ५, १, और ४, ५, १, २, ३, उपवास करके पारणा करेगा।
इस तप की दूसरी परिपाटी में ५, २, ४, १, ३, तथा ४, १, १. ग्रन्थान्तर में इस तप का नाम "भद्रप्रनिमा" भी लिखा है ।
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