Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 544
________________ ( ४६३ ) बौद्ध साहित्य के प्रसिद्ध टीकाकार बुद्धघोषाचार्य जो ईशा की पञ्चमी शताब्दी के विद्वान् हैं, सूकर मद्दव का अर्थ लिखते हुए कहते हैं - सूकर महवति नातितरुणस्स नातिजिएणस्स एक जेट्टक सूकरम्स पवत्त मंसं । तं किर मुदु चेव सिनिद्धच होति । तं पटियादापेत्वा साधुकं पचापेत्वाति अत्थो । एके भणंति सूकर महवंति पन मुदु ओदनस्स पंच गोरस यूसपाचन विधानस्य नाममेतं यथा गवपानं नाम पाक नामति । केचि भणंति सूकर महवं नाम रसायन विधि, तं पन रसायनत्थे आगच्छति तं चुदेन भगवतो परिनिव्वानं न भवेय्याति रसायनं पटियत्त ति" । केचि पन सूकर महवंति न सूकर मंसं सूकरे हि महित वंसकलीरोति वदंति । अब्बे सूकरे हि महितपदेशे जातं अहि छत्तकति" । ____ अर्थः-सूकर महव, यह जो छोटा बच्चा भी नहीं है और अति बूढ़ा भी नहीं, ऐसे एक बड़े सूअर का तैयार किया हुआ मांस था, वह कोमल स्निग्ध होता है, उसको लेकर अच्छी रीति से पकाया गया यह तात्पर्य है। कोई कहते हैं-सूकर महव पञ्च गोरस से पकाये हुए मृदुः ओदन का नाम है जैसे गवपान यह एक पाक विशेष नाम है। __ कोई कहते है-सूकर मद्दव यह रसायन विधि का नाम है, इस विधि से बनाया हुआ खाद्य पदार्थ रसायन का काम करता है, कर्मारचुन्द ने भगवान् निर्वाण प्राप्त न हो इस बुद्धि से उसको तैयार करवाया था । Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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