Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 550
________________ ( ४६६ ) बुद्ध के अन्तिम भोजन सम्बन्धी उक्त प्रकरण में कुछ बातें ऐसी हैं जो सूकर महव और बुद्ध की मानसिक शारीरिक स्थिति पर प्रकाश डालती हैं । १ - चुन्द के घर जाकर आसन पर बैठते ही बुद्ध चुन्द को बुलाते हैं, और सूकरमद्दव अपने पात्र में पिरसने की सूचना करते हैं। इससे विदित होता है कि सूकर मद्दव की हकीकत चुन्द द्वारा भिक्षुओं और भिक्षु द्वारा बुद्ध तक पहुँच चुकी थी कि वह एक विशेष प्रकार से बनवाया हुआ विशिष्ट खाद्य है और उसमें मूल्यवान् पदार्थ डाले गये हैं । बुद्ध यह नहीं चाहते थे कि ऐसे विकृति कारक उत्तेजक चीज डाल कर बनाया गया खाना अपने भिक्षु खांय, यही कारण है कि वे जमीनदोज़ करवा देते हैं । इससे पाया जाता है कि सूकर मद्दव सूकर कन्द की बनावट होने पर भी उसमें केशर कस्तूरी आदि बहुमूल्य उत्तेजक पदार्थ डाले गये थे । २ - सूकरमद्दव की दुर्जरता के सम्बन्ध में बुद्ध कहते हैंयह भोजन बुद्ध को छोड़कर संसार भर में ऐसा कोई देव मनुष्य नहीं है जो इसे खाकर पचा सके । बुद्ध की यह कोरी डींग नहीं है पर उनके अनुभव का निचोड़ है । बुद्ध की जठराभि बड़ी व्यवस्थित थी, वे प्रतिदिन नियमित समय में एक बार भोजन करते थे, और उनका आदार बहुधा प्रणीत होता था । इसी कारण से वे उसे आमिष कहा करते थे । अपनी इस तन्दुरुस्ती और जठर शक्ति से उनका खयाल बन गया था कि मेरे जैसा गरिष्ठ भोजन को पचाने वाला दूसरा कोई नहीं है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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