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अर्थ-दिन में सोना, सवारी पर बैठना, स्त्री कथा करना, भोजन में लोलुपता, चार पाई पर बैठना, और श्वेत वस्त्र ओढना ये छः यतियों के पतन के कारण हैं। ऋतु कहते हैंबीजघ्नं तैजसं पात्रं, शुक्रोत्सगं सिताम्बरम् । निशानच दिवा स्वप्नं, यतीनां पतनानि षट् ॥
अर्थ-बीजघ्न ( ) धातु का वर्तन, शुक्रपात, श्वेत वस्त्र, रात्रि भोजन, दिन में सोना ये छः यतियों के पतन के कारण हैं।
अंगिरा कहते हैंचत्वारि पतनीयानि, यतीनां मनुरब्रवीत् ।
औषधं सन्निधानं च, एकान्नकांस्य-मोजनम् ।। अर्थ-मनुजी यतियों के पतन के कारण चार कह गये हैं, औषध करना, पास में वासी रखना, एक घर से भोजन लेना, कांसे के पात्र में भोजन करना ।
एकानी द्विवती चैव, भेषजी वस्तु-संग्रही । चत्वारो नरकं यान्ति, मनुः स्वायम्भुवोऽब्रवीत् ।। अर्थ-एक घर का अन्न लेने वाला, नियत दो बार खाने बाला, औषधियां रखने वाला, अनेक वस्तुओं का परिग्रह रखने वाला, ऐसे चार प्रकार के संन्यासी नरक में जाते हैं, ऐसा मनु ने कहा है।
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