Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 520
________________ ( ४६६ ) पुष्पहस्त का दान करके देव विमान का लाभ बताया गया है। इसी प्रकार "ममिम निकाय" में भिक्षु को हरा धनियां अथवा कच्चे हरे धान्य ( आमधञ्जिय ) से प्रतिविरत माना गया है, तब “विमान बत्थु' में हरे पत्तों वाली श्वेत मूलिका दान देने वाले दाता को देव विमान आदि का लाभ बताया है। इन सब बातों से इतना तो निश्चित हो जाता है कि "मज्झिम निकाय' के समय के भिक्षुओं के आचार में "विमान वत्थु" के निर्माण काल तक बहुत कुछ परिवर्तन हो चुका था । इस परिवर्तन की प्रतिध्वनि आगे लिखो जाने वाली थेर गाथाओं में भी पाई जाती है। बौद्ध भिक्षु का अहिंसोपदेश __ जैन ग्रन्थों में जिस प्रकार प्राणातिपातादि विरति और अहिसक बनने का उपदेश मिलता है, वैसे बौद्ध ग्रन्थों में भी अनेक स्थलों पर अहिंसा का महत्त्व बताने वाला उपदेश दृष्टिगोचर होता है। इस बात के समर्थन में हम कतिषय ग्रन्थों के थोड़े से अवतरण देंगे। सव्वे तसन्ति दण्डस्स, सव्वे भायन्ति मच्चुनो। अत्तानं उपमं कत्वा, न हनेय्य न घातये ॥१॥ (धम्मपद पृ० २०) अर्थ-सर्वजीव दण्ड से त्रस्त होते हैं, सब मृत्यु से भयभीत रहते हैं, इस वास्ते अपनी आत्मा का उपमान करके न किसी प्राणी को मारे न मरवावे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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