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पारणा, एक उपवास - पारणा, छह उपवास - पारणा, एक उपवासपारणा, फिर सात उपवास - पारणा, एक उपवास पारणा, आठ उपवास - पारणा, एक उपवास - पारणा, इसी प्रकार नव उपवासएक उपवास, दश उपवास, एक उपवास, ग्यारह उपवास, एक उपवास, बारह उपवास, एक उपवास, तेरह उपवास, एक उपवास, चौदह उपवास, एक उपवास, पन्द्रह उपवास, एक उपवास, पारणों के साथ कर अन्त में सोलह उपवास और पारणा किया जाता है | इस प्रकार अर्द्ध मुक्तावली के कुल दिन एक सौ अम्सी ( १८० ) होते हैं । इसी प्रकार दूसरी तरफ के मुक्तावली के अर्द्ध में विपरीत क्रम से सोलह उपवास, एक उपवास, फिर पन्द्रह उपवास, एक उपवास, चौदह, एक, तेरह, एक बारह एक, ग्यारह एक, दश एक, नव एक, आठ एक, सात एक, छह एक, पांच एक, चार एक, तीन एक, दा एक, इस क्रमसे उपवास और पारणा करने से मुक्तावली तपकी प्रथम परिपाटो बारह मास में पूरी होती है । इसी प्रकार दूसरी, तोसरी, चौथी, परिपाटी की जाती है । पारणा यथेच्छ आहार से किया जाता है । मुक्तावली तप चार वर्ष में सम्पूर्ण होता है
।
१ - अन्तकृद्दशांङ्ग सूत्र में मुक्तावली पत की एक परिपाटी ग्यारह महिने पन्द्रह दिन में और सम्पूर्ण तर, तीन वर्ष दश महीनों में पूरा होने का विधान बताया है । इसका कारण यह है कि सूत्र में मुक्तावली के मध्यभाग में केवल एक ही बार सोलह उपवास करने का निर्देश है । इस कारण से एक सौलह और पारणा का दिन मिल कर सत्रह दिन एक परिपाटी में कम होते हैं, परन्तु सोलह के पहले पीछे एक उपवास के बदले दो दो उपवास लेने से साढ़े ग्यारह महीनों का हिसाब मिल
जाता है ।
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