Book Title: Kuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
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कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन कोल्ह पेर कर तेल निकाला जाता था (३६.२८, ४१.११) तथा पशुओं के लिए खली भी निकल आती थी (६.६, ८.१८) ।
गांव के निवासियों को ग्रामीण (गामेल्लो २५०.३५), ग्रामकूट, गांव की गोपी (७.१०), ग्रामयुवती (८.१) ग्रामनटी (४७.५) आदि के नाम से पुकारा जाता था। गांव में कुछ प्रशासनिक संगटन भी थे। उद्योतनसूरि ने ग्राम के निम्नोक्त अधिकारियों का उल्लेख किया है :-महाबढ़रभट्ट (४८.२२), प्रधानमयहर (४६.१०), ग्राम-वोद्रह (५२.४), ग्राममहाभोज्जाई (३१.१३), गाममहत्तर (६३.१३), गाम-चडय (११३.७), गाम-सामन्त (२००.३४)।
इनकी प्राचीन भारतीय ग्राम-अधिकारियों से तुलना करने पर ग्रामप्रशासन के क्षेत्र में नवीन प्रकाश पड़ सकता है। सामान्यरूप से इनका कार्य गाँव के मामलों में ग्रामीण जनता को अपनी सलाह देना था।