Book Title: Kuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
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वाणिज्य एवं व्यापार
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श्रेष्ठी के लिए प्रयुक्त इन शब्दों से ज्ञात होता है कि उस समय श्रेष्ठी का चुनाव अथवा पद परिपक्व आयु, अतुलसम्पत्ति एवं सभ्य - आचरण के आधार पर प्राप्त होता रहा होगा । नगरश्रेष्ठी का राजनीति तथा राजा पर विशेष प्रभाव रहता था। कुव० में मोहदत्त की कथा से ज्ञात होता है कि महानगरश्रेष्ठी की पुत्री से राजपुत्र के अवैध सम्बन्ध रखने के कारण श्रेष्ठी के कहने पर राजा स्वयं अपने पुत्र तोसल के प्राण-बध की आज्ञा दे देता है ।'
१. आइट्ठो राइणा मंती, वच्च, सिग्धं तोसलं मारेसु – कुव० ७५.६.