Book Title: Kuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
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कुवलयमालाका का सांस्कृतिक अध्ययन नियमासन (योगासन) प्रार्थना के लिए लगायी जाती थी। वीयसन में नागपुर की शिवप्रतिमा द्रष्टव्य है। गोदोइन-पासन में अभी तक कोई मूर्ति उपलब्ध नहीं हुई है। भगवान् महावीर को इसी बासन में केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था। अतः यह प्रासन जैन-परम्परा में अधिक प्रचलित हो गया। इस आसन की ध्यान
और योम की दृष्टि से कई उपयोगिताएँ भी हैं। इसमें योगी निरन्तर सजग रहता है तथा धरती (भौतिक जगत) से कम से कम उसका सम्बन्ध रह जाता है।
१. प्रतिमा-विज्ञान, पृ० २२९. २. द्रष्टव्य-आचार्य रजनीश, महावीर : मेरी दृष्टि में',
६१४.२०