Book Title: Kuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 481
________________ शब्दानुक्रमणिका तोमर (शास्त्र) १६८ दंडक (दण्डक) १७ तोरण ६३, ६४, ३२६, ३२९, ३३७ दंडगदा १७० तोरण (गोल) ३१४ दंडवासिक १६७, ३१६ तोरणशालभंजिका ३३७ दंडवासिय ३९७ तोरमाण ४, ४४, ४६, ४७, ६६, ११७, ३९६ दंडी (दण्डी) २३६ तोरराज ४६,६६ दंतकसं २३१, २३४ तोसल (राजकुमार) २५, ६७, २४३, ९१ दंतनिर्मितपुत्तली ३३८ ३१७, ३३० दंतरंजन २३४ त्रपु २२१ दंतवेदना १७२ त्रिक ३१० दक्ष (ऋषि) ३८७ त्रिकमत ३४६ दक्षिण ३६९ त्रिकूटशैल ७०, ७९ दक्षिणभारत २९० त्रिगड्डा ६३, ३१०, ३११ दक्षिण श्रेणी २१, ५६ त्रिगुणमब्ज २६० दक्षिण समुद्र २६, ६५, ७१, ८७, ९१, त्रितन्त्री २८५, २८६ २१७, ३९७ त्रिदण्ड ३७७ दक्षिणा १०२, १०४ त्रिद्रण्डी ३७७, ३७८, ४०० दक्षिणापथ ५२, ५४, ६५, ६८, ७१. ९१. त्रिदशगिरिबर ७९ ९७, १८८, १८९, १९६,२१३, २१४, २१६, २१७ त्रिदशेन्द्र ३५०, ३६१ दर्छ (समीक्षा) ३०५, ३९९ त्रिनयन ७८, ३५१ त्रिनेत्र २७५, ३४३ दद्दरसोपानपंक्ति ३३१ दमिल (तमिल) ६४ त्रिपुरनगर ७८ दरदिस्थान ८७, ११७ त्रिपुरसुन्दरी ३४६ दरबार-आम ३१७ त्रिराहा ३११ दरबार-खास ३२२ त्रिशरकंठिका १५९ दर-लीव (वस्त्र) १४० त्रिशूलधारिणी ३५५ दर्जी ३१२ त्रिस्वर २८३, २८५, २८६ दर्पपरिघ २८.२९ दर्पफलिक ५६, ६८, ९७, १.७४, २८२, थण-उत्तरिज्ज १४० ३२०, ३२१ थन (नगर) ५७ दर्पसायण-बंध (शस्त्र) १६८, १६१ थाना (जिला) ७४ दर्शन २२९ थाना (पुलिस चौकी) ३०९ दर्शक कक्ष ३१४ थानेश्वर ६० दर्शन तत्त्व १४ थेर १४७ दर्शनशास्त्र ३९८ थोरकम्म (विनिमय) ३९८ दलाल (आढ़तिया) २०५, २१३ दशकुमारचरित २,३१ दंड १६८, २१६ दशमुख ८४

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