Book Title: Kuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
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समुद्र-यात्राएँ जल-यात्रा की तैयारियां
कुवलयमाला के धनदेव एवं सागरदत्त द्वारा समुद्रयात्रा करने के प्रसंग में जल-यात्रा की प्रारम्भिक तैयारियाँ इस प्रकार की गयी थीं :
१. समुद्र-यात्रा का निश्चय कर लेने पर समुद्र-पार बिकने वाली वस्तुओं __ को खरीदकर संग्रह करना प्रारम्भ कर दिया गया।' २. जहाज तैयार करवा कर सजाया गया,२ ३. निर्यात की जानेवाली वस्तुओं को जहाज पर लादा गया, ४. निर्यामकों को बुलाकर इकट्ठा किया गया, ५. आने-जाने के हिसाब से यात्रा-काल की अवधि निश्चित की गयी, ६. यात्रा पर प्रस्थान करने की तिथि एवं समय निश्चित किया गया, ७. यात्रा के दौरान अच्छे शकुनों पर विचार किया गया, ८. साथ चलने के लिए अन्य व्यापारियों को सूचना दी गयी, ६. इष्ट देवताओं की आराधना की गयी, १०. ब्राह्मण-भोज कराये गये, . ११. विशिष्ट जनों की पूजा की गयी, १२. लौकिक देवताओं की अर्चना की गयी, १३. पालों की व्यवस्था की गयी, १४. मस्तूल खड़े कर दिये गये, १५. जहाज में बैठने एवं सोने के लिए फर्नीचर (आसन) का संग्रह किया
गया, १६. लकड़ी के तख्तों एवं जलाऊ लकड़ी का संचय किया गया, १७. ताजे एवं मीठे जल के पात्र भर लिये गये, अनाज अपने पास रख
लिया गया, १८. दलालों (आढ़तियों) को बुला लिया गया। यह सब कार्य करते
हुए प्रस्थान करने का दिन आ गया। १. तो तद्दियहं चेय घेतुमारद्धाई पर-तीर जोग्गाई भंडाई, १०५.२७. २. तओ रयणदीव-कय-माणसेहिं सज्जियाई जाणवत्ताई। किं च करिउ समाढतं ।
घेप्पंति भंडाइं, उवयरिज्जति णिज्जामया, गणिज्जए दियहं. ठावियं लग्गं. णिरूविजंति णिमित्ताइं, कीरंति अवसूईओ, सूमरिज्जंति इट्र-देवए. भंजाविज्जति बंभणे, पूइज्जति विसिट्ठयणे, अच्चिज्जंति देवए, सज्जिज्जंति सेयवडे उब्भिज्जंति कुवाखंभए, संगहिज्जति सयणे, वद्धिज्जंति कट्र-संचए, भरिजंति
जल-भायणे त्ति । वही--६७.१-४. ३. गहिया आडियत्तिया, १०५ २८. ४. एवं कुणमाणाणं समागओ सो दियहो, ६७.४.