Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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सन्देश
शुभकामना
मुझे ज्ञात हुआ है कि श्री केसरीमल जी सुराणा के अभिनन्दन हेतु एक अभिनन्दन ग्रन्थ तैयार करने की योजना है। अभिनन्दन व्यक्ति का नहीं, वरन् उसके गुणों का २: . होता है । व्यक्ति अपने त्याग, तपश्चर्या, साधना से शिक्षा क्षेत्र में सर्वत्र सुपरिचित महारथी एवं श्रुतस्वयं समष्टि बन जाता है, संस्था बन जाता है। वस्तुतः देवता के महान उपासक श्री केसरीमल जी का संघ अभिऐसे व्यक्ति का अभिनन्दन समाज एवं संस्था के लिए गौरव नन्दन कर रहा है यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता है। श्री का विषय होता है। राणावास के वयोवृद्ध, कर्मठ कार्यकर्ता केसरीमल जी जैसे परखे हुए शिक्षासेवियों का अभिनन्दन श्री केसरीमल जी सुराणा ऐसे ही अभिनन्दनीय व्यक्ति हैं। समाज की जागृत ज्ञान चेतना का प्रतीक है। यह अभिश्री सुराणा जी गृहस्थ-संन्यासी, कर्मशील कार्यकर्ता एवं नन्दन उनकी ज्ञान-साधना एवं शासन-सेवा का अभिनन्दन कुशल प्रशासक हैं। उनके जीवन में जहाँ एक और तो है ही साथ ही शिक्षा क्षेत्र के पथ पर अवतरित होने विरक्ति मुखरित हुई है, वहाँ दूसरी ओर अद्भुत कार्य- वाले नये कार्यकर्ताओं एवं शिक्षाप्रेमियों के लिए प्रेरणा क्षमता एवं निःस्वार्थ भावना मूर्त हुई है । मैं श्री केसरीमल स्रोत भी है। जी के भावी जीवन में उनकी साधना की उत्कृष्टता की अनन्त ज्ञान के देवाधिदेव महाप्रभु महावीर के चरणों शुभ कामना करता हुआ आशा करता हूँ कि उनका जीवन में अभिनन्दन समारोह की यशस्वी सफलता के हेतु हार्दिक समाज के लिए उपयोगी एवं प्रेरक बनेगा।
अभ्यर्थना । श्री केसरीमल जी अपने निर्धारित साधना पथ -आचार्य तुलसी पर निरन्तर गतिशील रहें एवं उनके द्वारा किये जाने वाले
महान कार्य सफलता के शिखर पर पहुँचते रहें यह मुनिहृदय की हार्दिक शुभाशंसा है।
-उपाध्याय अमरमुनि केसरीमलजी मुराणा एक दृढ़ मनोबली व्यक्ति है। वे व्यक्ति है, उससे अधिक स्वयं में एक संस्था है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहत कार्य किया है। कर्म और धर्म के . क्षेत्र में एक अद्भुत समन्वय स्थापित किया है। समाज 'काकामा" के नाम से विख्यात थी केसरीमल जी द्वारा उनका अभिनन्दन हो रहा है। यह एक समाज सेवी सराणा
सुराणा एक ऐसे श्रावक हैं, जिन्होंने धर्म व कर्म की का अभिनन्दन है, जिसने समाज को बहुत दिया है,
युगपत् उपासना की है। उन्होंने उपासक प्रतिमा की लिया कम है।
विशिष्ट साधना कर इस युग में कीर्तिमान स्थापित किया है। उनका जीवन सादा है, श्रमशील है, सात्विक है। जीवन विकास के अन्तर्मुखी अभियान के साथ उन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार का अभियान भी चलाया है। उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करने का निर्णय लिया गया है । यह उनके गुणों, त्याग एवं साधना का अभिनन्दन है। मेरी शुभाशंसा है कि उनका उत्कृष्ट जीवन समाज का प्रेरक बने।
-साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा
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