Book Title: Jain Satyaprakash 1936 11 12 SrNo 16 17
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1643 મહાવીર-ચરિત્ર-મીમાંસા ૧૪૧ परन्तु यह बात है बहुत पीछे की, अन्य चरित्रोंने इसे पीछे ही लिखा है । 'क' इस प्रसंग को गोशालकवा प्रसंग के पूर्व में रख कर भगवान के केवलि जीवन के पूर्वार्द्ध की घटना साबित करता है, जो ठीक नहीं । 'ख' 'ग' दूसरी बार भगवान को कौशाम्बी भेजकर चन्द्र-सूर्यावतरण और मृगावती के केवलज्ञान का प्रसंग वर्णन करते हैं, परन्तु हमारी राय में इस समवसरण में मृगावती की दीक्षा होती है । चन्द्र-सूर्यावतरण का प्रसंग इसके बाद के समवसरण की घटना है । जयन्ती की दीक्षा का प्रसंग छूट जाने से चरित्रों में यह भूल घुस गई मालूम होती है । (५) 'क' का गोशालक संबन्धी प्रकरण अष्टापदगमन' के पहले आना चाहिये था। 'ख' 'ग' के मत से भगवान् कौशाम्बी से श्रावस्ती गये थे और गोशालक के साथ तकरार हुई थी, परन्तु कालगणना के हिसाब से यह बात ठीक नहीं बैठती, क्योंकि गोशालकवाली घटना चातुर्मास्य उतरने के बाद तुरन्त घटी थी, भगवान का starrer से श्रावस्ती आगमन मानने में समय ठीक नहीं मिलता। भगवान के वर्षा चातुर्मास्य के केन्द्र तीन थे - राजगृह - नालन्दा, वैशाली - वाणिज्यग्राम और मिथिला । इन में से किसी भी एक स्थान से निकल कौशाम्बी होते हुए श्रावस्ती पहुंचने में काफी समय चाहिए, जब कि गोशालकवाली घटना चातुर्मास्य के बाद तुरन्त बना हुआ बनाव है, इस लिए हमें यह मानना ही ठीक जँचता है कि मिथिला में वर्षा चातुर्मास्य पूर्ण करके भगवान् सीधे श्रावस्ती आये होंगे, जहां गोशालक के साथ तुरन्त तकरार छिड़ गई है । हमारे इस कथन की पुष्टि भगवान के उन वचनों से भी होती है जो उन्होंने गोशालक और सिंह अनगार से कहे थे । गोशालक से कहा था 'गोशालक ! अभी मैं सोलह वर्ष तक इस पृथ्वी पर विचरूंगा ।' औत्र छः मास के • में सिंह अनगार से कहा था- 'सिंह ! अभी मैं साढ़े विचरूंगा । ' बाद बीमारी की अन्तिम हालत पन्द्रह वर्ष तक पृथिवी पर (६) तेजोलेश्यावाली घटना के बाद रोगनिवृत्ति का वर्णन करके 'क' चरित्र कतिपय प्रसंगों की सूचना मात्र करके भगवान को पावापुरी पहुंचा देता है, जब कि रोगनिवृत्ति के बाद वे साढ़े पन्द्रह वर्ष तक जीवित रहते हैं, परन्तु इस चरित्र ने शुरू से ही सब घटनाओं के निरूपण की जिम्मेवारी अपने ऊपर नहीं रक्खी, अतः यह संक्षेप क्षन्तव्य है । For Private And Personal Use Only

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