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जैसे कि - पंत्तमा १ सुत्र २ एलापत्या ३ यशोधरा ४ सौमनसी ५' श्री सम्भूता ६ विजया' ७ वैजयन्ती ८ जयन्ति अपराजिता १० इच्छा ११ समाही १२ तेजा १३
वि तेजा १४ देवानन्द्रा १५
इस प्रकार वर्णन करते हुए साथ में यह भी वर्णन कर दिया है कि दिन और रात्रियों की तिथीयें भी होती है वह इस प्रकार से हैं जैसे कि दिवसों को तिथियें यह हैं ! नन्दा १ भद्रा २ जया ६ तुच्छा ४ पूर्ण ५ इन को तीन वार गिनने से यही पंच दश दिवस विथिय होती हैं ।
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पच दश रात्रि विधियें यह है जैसे कि अग्रवती १ भोगवती २ यशोमंत्री ३ सर्वसिद्धा ४ शुभनामा ५ इन को तीन वार गिनने से यही पच दशं रात्रि तिथियें कही जाती है। और एक वर्ष के बारह मास होते हैं उनके नाम दो प्रकार से कथन किए गए हैं जैसे कि -लौकिकऔर लोकोत्तर - जो लोक में सुप्रसिद्ध हो उन्हें लौकिक नाम कहते हैं जो केवल शस्त्रों में ही प्रसिद्ध हैं। उन्हीं का नाम “लाकोत्तर, नाम है । सेा लौकिक नाम वारह