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जैन दर्शन में प्रमाण मीमांसा
१-प्रमेव सत्।
सत् के तीन रूप है-उत्पाद, व्यय और प्रौव्य । उत्पाद और व्यय की समष्टि-पर्याय।
धौव्य-गुण। गुण और पर्याय की सनष्टि-द्रव्य।
सत्२५
उत्पाद
व्यय
घ्राव्य
चंतन
प्रचलन
| | मानव संवर निर्जरा मोक्ष
धर्म, अधर्म आकाश, काल, पुद्गल, पुण्य, पाप, बन्ध