Book Title: Jain Bauddh Tattvagyan Part 02
Author(s): Shitalprasad Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 12
________________ परिषदके उत्साही और प्रसिद्ध कार्यकर्ता ला० तनसुखरायजी जैन, जो कि तिलक वीमा कंपनी देहलीके मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, वह इसी खानदानमें से हैं । आप जैन समाजके निर्भीक और ठोस कार्य करनेवाले कर्मठ युवक हैं। अभी हाल में मापने जैन युवकोंकी बेकारीको देखकर दस्तकारीकी शिक्षा प्राप्त करनेवाले १० छात्रोंको १ वर्षत भोजनादि निर्वाह खर्च देने की सूचना प्रकाशित की थी, जिसके मुलस्वरूप कितने ही युवक छात्र देहलीमें आपके द्वारा उक्त शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं । मैन समानको आपसे बड़ी २ माशायें हैं, और समय मानेपर वे पूर्ण भी अवश्य होंगी। इनके अतिरिक्त ला० मानसिंहजी, ला० प्रभूदयालजी, ला.. अमीर सिंहजी, ला० गणपतिरायजी, ला० टेकचंदजी आदि इसी खान्दानके धर्मप्रेमी व्यक्ति हैं। इनका अपने खान्दानका पीयवाड़ामें एक विशाल दि० जैन मंदिरजी भी है, जोकि अपने ही व्ययसे बनाया गया है। इस खान्दानमें शिक्षाकी तरफ विशेष रुचि है जिसके फलस्वरूप कई ग्रेजुएट और वकील हैं। ला.ज्वालामसादजीके पिता चार भाई थे। १-ला०कुंदनलालजी, २-ला. अमनसिंहजी, ३-ला० केदारनाथजी, ४-ला० सरदारसिंहजी । जिनमें ला० कुन्दनलालजीके सुपुत्र ला० मानसिंहजी, ला० अमनसिंहजीके सुपुत्र ला० मनफूलसिंहजी व का० वीरमानसिंहजी हैं । ला० केदारनाथजीके सुपुत्र ला० ज्वालाप्रसादजी तथा ला० घासीरामजी और ला० सरदारसिंहजीके सुपुत्र ला० स्वरूपसिंहनी, ला. जगतसिंहजी और गुलाबसिंहजी हैं। जिनमें से 10. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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