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46... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में मिलायें तथा अनामिका और कनिष्ठिका को ऊपर की तरफ उठाने पर हंस मुद्रा बनती है।17
हंस मुद्रा लाभ
चक्र- आज्ञा एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- आकाश एवं जल तत्त्व ग्रन्थि- पीयूष एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मस्तिष्क, स्नायु तंत्र,मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे। 14. हरिण मुद्रा
हिन्दू परम्परा में प्रचलित यह मुद्रा हिरण के स्वरूप को दर्शाती है। इसे एक हाथ से धारण करते हैं तथा इसमें हिरण के मुख जैसा आकार दिखता है। विधि ___दायें हाथ को सीधा रखते हुए अंगूठे के अग्रभाग को मध्यमा और अनामिका से स्पर्श करवायें तथा तर्जनी और कनिष्ठिका को एकदम सीधा रखने पर हिरण मुद्रा बनती है।18