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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...53
विधि
बायें हाथ को आराम की मुद्रा में नीचे की तरफ लटकाये रखना कट्यावलम्बित मुद्रा है।
इस मुद्रा में हथेली जंघा के पार्श्वभाग में आराम करती है।24
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लाभ
कट्यावलम्बित मुद्रा चक्र- स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- जल तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन ग्रन्थि केन्द्रस्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे। 21. कूर्पर मुद्रा
शरीर में पाँवों के बीच का जोड़ घुटना एवं हाथ के बीच का जोड़ कुहनी दोनों कूर्पर कहलाते हैं। इस मुद्रा में दायें हाथ को कोहनी की तरफ फैलाते हैं अत: इसे कूपर मुद्रा कहते हैं। ___हिन्दू मान्यतानुसार यह मुद्रा भगवान शिव ने धारण की थी। विद्वानों ने इसे पशुओं को अधीन करने की मुद्रा कहा है। इसके दो रूपान्तर निम्न हैं