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234... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में 11. उदान मुद्रा
अंगूठों के अग्रभागको तर्जनी के अग्रभागों से संयुक्त करें, फिर तर्जनी के नख पर मध्यमा के अग्रभागों को रखें तथा शेष अंगुलियों को सीधा रखने पर उदान मुद्रा बनती है।
उदान मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र - मूलाधार एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि, पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - थायरॉइड एवं पैराथायरॉइड केन्द्र - शक्ति वं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पैर, निचला मस्तिष्क,
स्नायु तंत्र