Book Title: Hindu Mudrao Ki Upayogita Chikitsa Aur Sadhna Ke Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 366
________________ 300... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में विधि दायी हथेली को सामने की तरफ करते हुए, तर्जनी, मध्यमा और अनामिका को ऊपर उठायें तथा अंगूठा और कनिष्ठिका के अग्रभागों को मिलाने पर द्वितीय त्रिपिटक मुद्रा बनती है।36 लाभ चक्र- अनाहत एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- वायु तत्त्व ग्रन्थि- थायमस, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- आनंद एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचरण तंत्र, स्वर तंत्र, नाक, कान, गला, मुंह। 23. उरूसंस्थित मुद्रा उरू अर्थात जांघ। इस मुद्रा में जांघ को सम स्थिति में रखा जाता है अत: इसका नाम उरूसंस्थित मुद्रा है। यह असंयुक्त मुद्रा मुख्य रूप से हिन्दू परम्परा में प्रचलित है। उरुसंस्थित मुद्रा

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