Book Title: Hindu Mudrao Ki Upayogita Chikitsa Aur Sadhna Ke Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 369
________________ हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप......303 विधि इस मुद्रा में बायीं हथेली ऊर्ध्वाभिमुख, अंगुलियाँ एवं अंगूठा फैला हुआ, हल्का सा मुड़ा हुआ और मध्यभाग से दूर रहता है।39 लाभ चक्र- मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वाय तत्त्व ग्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ीतंत्र, पाचन तंत्र, रक्त संचरण तंत्र, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं। 26. वरद मुद्रा शब्द रचना के अनुसार वरद का अर्थ है वर देने वाला, अभीष्टदाता, कल्याणकर आदि। यह मुद्रा वर देने एवं किसी मन्नत के पूर्ण होने की सूचक है। भारत में इस मुद्रा को दान मुद्रा, प्रसाद मुद्रा, वर मुद्रा और चीन में शियान्-यिन् मुद्रा, जापान में सोगन्-इन मुद्रा कहते हैं। यह मुद्रा हिन्दू और बौद्ध परम्परा में समान रूप से उग्र देवी-देवताओं के द्वारा अपने अनुयायियों के लिए धारण की जाती है। वरद मुद्रा

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