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246... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में 6. शूकरी मुद्रा
सभी अंगुलियों एवं अंगूठे को एकत्रित कर लेने पर शूकरी मुद्रा बनती है। इस मुद्रा का प्रयोग अभिचार कर्म हेतु किया जाता है।
शूकरी मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं मणिपुर चक्र तत्त्व-जल एवं अग्नि तत्त्व केन्द्रस्वास्थ्य एवं तैजस केन्द्र अन्थि- प्रजनन, एड्रीनल तथा पैन्क्रियाज विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, पाचन तंत्र, यकृत, तिल्ली, नाड़ी तंत्र एवं आँतें।