________________
हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप......293 20. स्वस्तिक मुद्रा
हिन्दू और बौद्ध परम्परा में स्वस्तिक मुद्रा के तीन प्रकारान्तर देवताओं के द्वारा अथवा उनके लिए धारण किये जाते हैं। सभी प्रकार सूर्य या नग्स के सूचक हैं। सामान्य विधि इस प्रकार हैप्रथम प्रकार
स्वस्तिक मुद्रा के प्रथम प्रकार में दोनों हाथ सम्मिलित होकर अंगुलियाँ लगभग 30° पर एक-दूसरे से परस्पर मिली हुई रहती हैं।29
P
स्वस्तिक मुद्रा-1
लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान, आज्ञा एवं अनाहत चक्र तत्त्व- जल, आकाश एवं वायु तत्त्व ग्रन्थि- प्रजनन, पीयूष एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य, दर्शन एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गर्दे, स्नायु तंत्र, निचला मस्तिष्क, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचरण तंत्र।