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272... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
इस मुद्रा का उपयोग आशीर्वाद, मंगल कामना, अभिवादन अथवा पूजा आदि के लिए किया जाता है। ___यह छाती के स्तर पर धारण की जाती है।
विधि
दायीं हथेली को छाती के अग्रभाग में रखते हुए अंगुलियों को स्वाभाविक रूप से ऊपर की ओर उठाने पर अर्धाञ्जली मुद्रा बनती है। ____ यह मुद्रा ईसाई पूजा पद्धति में पादरियों के द्वारा आशीर्वाद आदि देने के लिए धारण की गई मुद्रा के समान है।
अर्थाञ्जली मुद्रा लाभ
चक्र- मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वायु तत्त्व ग्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, आँते, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, रक्त संचरण तंत्र, हृदय, भुजाएं, फेफड़ें आदि।