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हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप......273
6. बुद्धाश्रमण मुद्रा
इस मुद्रा नाम से ही सूचित होता है कि यह मुद्रा भगवान बुद्ध से सम्बन्धित है। यह मुद्रा बौद्ध परंपरा में अधिक प्रचलित है तथा हिन्दू परम्परा में बहुत कम देखने में आती है।
तिब्बत में इसका नाम 'म्यांग-हडास-फ्याग-रज्ञ' मुद्रा है। यह एक अन्य प्रकार के अभिवादन या वंदन को अथवा तथागत की दृष्टि को दर्शाती है। विधि
दायी हथेली को मस्तक के स्तर पर धारण करते हुए ऊर्ध्वाभिमुख करें तथा कलाई पर से घुमाते हए अंगुलियों को बाहर की तरफ करने पर बुद्धाश्रमण मुद्रा बनती है।
बुद्धाश्रमण मुद्रा लाभ
चक्र- मणिपुर एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं दर्शन केन्द्र विशेष