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हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
8. मुण्ड मुद्रा
बायें अंगूठे को मुट्ठी में दबाकर दायें हाथ की मध्यमा और तर्जनी को अंगूठे के अग्रभाग में लगायें तथा दूसरी मुट्ठी को लम्बित कर स्पर्श किये रखना मुण्ड मुद्रा है।
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मुण्ड मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र - आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व केन्द्र - ज्योति एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि - पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंगमस्तिष्क, आँख एवं स्नायु तंत्र ।