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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ... 251
2. वीणा मुद्रा
वीणावादनं बद्ध हस्तौ वीणा मुद्रेय माख्याता,
कृत्वा सञ्चालयेच्छिरः । सरस्वत्याः प्रियंकरी ।।
दोनों हाथों के द्वारा जिस तरह वीणा बजाई जाती है उस स्थिति में हाथों को निर्मित कर सिर का संचालन करते रहना, वीणा मुद्रा है।
वीणा मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र - मूलाधार एवं अनाहत चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं वायु तत्त्व केन्द्रशक्ति एवं आनंद केन्द्र ग्रन्थि - प्रजनन एवं थायमस ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ एवं रक्त संचार प्रणाली ।