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गायत्री जाप साधना एवं सन्ध्या कर्मादि में उपयोगी मुद्राओं......173 रखते हुए उसके अंगूठे को फैला दें। फिर बाएं हाथ की सभी अंगलियों को एकदूसरे के साथ सटाते हुए फैलाएं। तदनन्तर बाएं हाथ की फैली अंगुलियों को दायीं ओर घुमाकर दाएं हाथ के अंगूठे का स्पर्श करने पर जो आकृति बनती है वह शंख मुद्रा है।
शंख मुद्रा लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- जल एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- स्वास्थ्य एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि- प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, आँख एवं ऊपरी मस्तिष्क। 30. पंकज मुद्रा
पंकज का अभिप्राय कमल से है। कमल को अर्पण करने के लिए श्रेष्ठ पुष्प माना गया है। यह कई देवी-देवताओं का आसन भी है तथा कीचड़ में रहकर उससे निर्लिप्त रहना इसकी अनुपम विशेषता है।
इस मुद्रा के द्वारा साधक स्वयं को कमल की भाँति श्रेष्ठ बनाने एवं सांसारिक प्रपंचों से मुक्त रहने की प्रार्थना करता है।