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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ... 203
पहली मातृका न्यास मुद्रा
ऊर्ध्वस्थित मुद्रा में मध्यमा और अनामिका अंगुलियों के द्वारा ललाट का स्पर्श करना मातृकान्यास की पहली मुद्रा है।
प्रथम मुद्रा
सुपरिणाम- इस मुद्रा के द्वारा निम्न तत्त्वादि संतुलित होने से अनेक समस्याओं का निवारण होता है
चक्र- आज्ञा, सहस्रार एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व - ज्ञान, ज्योति एवं विशुद्धि केन्द्र ग्रन्थि - पीयूष, पिनियल, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मस्तिष्क, आँख, स्नायु तंत्र, कान, नाक, गला, मुँह एवं स्वर यंत्र।