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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...227 4. दीप मुद्रा
मध्यमा अंगुली के अन्तिम पौर पर अंगूठे के अग्रभाग को स्पर्शित कर 'दीपं दर्शयामि' कहते हुए दीपक दिखाना, दीप मुद्रा है।
दीप मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र- अनाहत एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व केन्द्रआनंद एवं ज्ञान केन्द्र प्रन्थि- थॉयमस एवं पिनियल ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचार प्रणाली, ऊपरी मस्तिष्क एवं आँख।