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198... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में द्वितीय
दायीं तर्जनी से बायीं तर्जनी का स्पर्श करना तर्जनी न्यास मुद्रा है।
द्वितीय
सुपरिणाम
चक्र- मूलाधार, सहस्रार एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- पृथ्वी, आकाश एवं जल तत्त्व केन्द्र- शक्ति, ज्योति एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि- प्रजनन, पिनियल एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, मस्तिष्क, आँख एवं स्नायु तंत्र।
तृतीय
दायीं मध्यमा से बायीं मध्यमा का स्पर्श करना मध्यमा न्यास मुद्रा है। सुपरिणाम ___ चक्र- मणिपुर एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं पृथ्वी तत्त्व केन्द्रतैजस एवं शक्ति केन्द्र प्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि विशेष