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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...199
तृतीय
प्रभावित अंग- पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें, मेरूदण्ड, गुर्दे एवं
पाँव।
चतुर्थ
दायीं अनामिका से बायीं अनामिका का स्पर्श करना अनामिका न्यास मुद्रा है। सुपरिणाम
चक्र- मूलाधार, मणिपुर एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- पृथ्वी, अग्नि एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- शक्ति, तैजस एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि- प्रजनन, एड्रीनल,