________________
पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...185
नेत्रत्रोयेय मुद्रा सुपरिणाम ___ चक्र- विशुद्धि, आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- विशुद्धि, ज्योति एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि- थायरॉइड, पेराथायरॉइड, पिनियल एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- नाक, कान, गला, मुँह, ऊपरी एवं निचला मस्तिष्क, आँख एवं स्नायु तंत्र। 4. फट् मुद्रा
फट् एक तान्त्रिक मन्त्र है, इसे अस्त्र मंत्र भी कहते हैं। इस मन्त्र का प्रयोग पात्र प्रक्षालन, अघमर्षण प्रक्षेपन, विघ्नोत्तासन, करांगन्यास, अग्न्याहवान आदि में होता है।
यहाँ फट् मुद्रा का अभिप्राय विघ्नोत्त्रासन, करांगन्यास अथवा पाप प्रक्षालन कुछ भी हो सकता है।
दायें हाथ की तर्जनी और मध्यमा के द्वारा बायीं हथेली का स्पर्श करना फट् मुद्रा है।