________________
82... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में लाभ
चक्र- मूलाधार, आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- शक्ति, ज्ञान एवं ज्योति केन्द्र प्रन्थि-गोनाड्स, पिनियल एवं पीयूष ग्रन्थि प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, मस्तिष्क, आँख एवं स्नायुतंत्र। 4. गालिनी मुद्रा __ यह एक तान्त्रिक मुद्रा है इसकी विधि निम्न हैविधि
कनिष्ठांगुष्ठको सक्तौ, करयोरितरेतरम् । तर्जनीमध्यमानामाः, संह्यता भुग्नवर्जिताः (सज्जिताः)।
मुरैषा गालिनी प्रोक्ता, शंखस्योपरि चालिता। बायें अंगूठे से दायीं अनामिका को और बायीं अनामिका से दायें अंगूठे को जोड़ें तथा शेष अंगुलियों को एक-दूसरे से स्पर्शित रखते हुए किंचित झुकाने पर गालिनी मुद्रा बनती है।26
गालिनी मुद्रा