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154... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
16. प्रलम्बः मुद्रा
प्रलम्ब शब्द कई अर्थों को ज्ञापित करता है। यहाँ नीचे की ओर लटकता हुआ ऐसा अर्थ अभिप्रेत है। ____ दर्शाए चित्र के अनुसार इस मुद्रा में दोनों हाथ नीचे की तरफ लटकते हुए रखे जाते हैं अत: इस मुद्रा का नाम यथोचित मालूम होता है।
यह मद्रा प्रतीक रूप में जीवन को उदात्त एवं व्यापक बनाने की प्रेरणा देती है। इसी के साथ आराध्य के प्रति अपनी श्रद्धा को उत्तरोत्तर बढ़ाये रखने का सूचन करती है।
यौगिक परम्परा में यह मुद्रा अनेक भक्तों द्वारा ग्रहण की जाती है। यह गायत्री जाप की आवश्यक एवं रोगोपशमन की अद्भुत मुद्रा है।
प्रलम्बः मुद्रा विधि
इस मुद्रा को बनाते वक्त दोनों हथेलियों को कमर के नीचे मध्य भाग पर स्थिर करें। फिर दोनों हाथों की अंगुलियों को नीचे की ओर करने एवं दोनों हाथों को एक-दूसरे के निकट रखने पर प्रलम्ब मुद्रा बनती है।17