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गायत्री जाप साधना एवं सन्ध्या कर्मादि में उपयोगी मुद्राओं......165
मुद्गर मुद्रा लाभ ___ • यह मुद्रा पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व को प्रभावित करती हुई शरीर को तंदूस्त एवं शक्तिशाली बनाने में सहायक है। इससे काम क्रोधादि कषायों का नियंत्रण तथा चिंताओं का निरोध होता है। ___ • मूलाधार एवं आज्ञा चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा जल, फास्फोरस आदि का संतुलन करती है। शारीरिक विकास, मस्तिष्क और स्मरण शक्ति का भी संतुलन करती है।
• यौन ग्रन्थियों एवं पिच्युटरी पर प्रभाव डालते हुए यह मुद्रा शरीर की गर्मी का संतुलन, प्रजनन कार्य में सहलियत करती है तथा बालकों में कुसंस्कारों के वर्धन को रोकती है। 24. पल्लव मुद्रा
पल्लव शब्द विशिष्ट अर्थों को सूचित करता है। सामान्यत: नए निकले हुए कमल के पत्तों का समूह पल्लव कहलाता है। यहाँ पल्लव का यही अर्थ औचित्य पूर्ण है।