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138... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में 5. द्विमुख मुद्रा
द्विमुख का शाब्दिक अर्थ है दो मुख वाला। इस मुद्रा नाम के अन्य अर्थ भी व्यवहृत है। यहाँ द्विमुख मुद्रा से अभिप्राय लगभग प्रसव करती हुई गाय से है। जब गाय बछड़े को जन्म देती है उस समय पृष्ठ भाग से पहले बछड़े का मुँह निकलता है जिससे गाय दो मुख वाली दिखती है और इस गाय का विशेष महत्त्व होता है।
संभवतया इस मुद्रा का प्रयोजन द्विमुखी गाय से है क्योंकि वैदिक परम्परा में गाय को पूजनीय एवं गायत्री स्वरूप माना है।
योग तत्त्व मुद्रा विज्ञान की यौगिक परम्परा में यह मुद्रा भक्तों और आराधकों के द्वारा की जाती है। यह गायत्री. जाप की 24 मुद्राओं में से एक है। इसे कैन्सर जैसे रोगों में बहुत उपयोगी बतलाया है। विधि
दोनों हथेलियों को शरीर के मध्य भाग में कमर के समभाग पर स्थिर करें।
द्विमुख मुद्रा