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54... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में प्रथम विधि ___ इस मुद्रा में दायाँ हाथ हल्के से कोहनी की तरफ फैला हुआ तथा हथेली शिथिल मुद्रा में नन्दी (शिव का वाहन) के सिर पर रखी हुई होती है।25
कूर्पर मुद्रा-1
लाभ
चक्र- मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन, एड्रीनल, पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें। द्वितीय विधि
कूर्पर मुद्रा का दूसरा प्रकार बायें हाथ से किया जाता है। हाथ को शिथिल रूप में नीचे की तरफ करते हैं। शेष वर्णन पूर्ववत।26