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70... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
विस्मय वितर्क मुद्रा
लाभ
चक्र- विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व - वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिथायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र - विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - कान, नाक, गला, मुँह, स्वर यंत्र, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र।
किसी भी क्रिया को करते हुए उसमें मानसिक जुड़ाव होना अत्यंत आवश्यक है। त्रियोग पूर्वक की गई क्रिया अधिक लाभदायी होती है। हमारी दैनिक क्रियाओं में अनेक ऐसी क्रियाएँ है जिन्हें हम अवश्य रूप से करते ही है। इस अध्याय में वर्णित कुछ अति उपयोगी एवं प्रचलित मुद्राओं का सचित्र स्वरूप वर्णन करते हुए उसकी प्रभावकता दर्शाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि आज के फास्ट युग में हमारी प्रत्येक क्रिया समुचित एवं स्वास्थ्य वर्धक हो । उसकी उपादेयता और उपयोगिता से हम चिर-परिचित हो सकें एवं त्रियोग पूर्वक उनमें जुड़कर लौकिक एवं लोकोत्तर कल्याण कर सकें।