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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...59 विधि
दायें हाथ को कंधे के स्तर पर फैलाते हुए हथेली को अधोमुख करने पर पताका मुद्रा बनती है।30
पताका मुद्रा लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- जल एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- स्वास्थ्य एवं ज्योति केन्द्र ग्रन्थि- प्रजनन एवं पिनियल ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मल- मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु
तंत्र।
26. प्रवर्तित हस्त मुद्रा
इस मुद्रा में हाथ को चलित हुए की भाँति दर्शाया जाता है इसलिए इसका नाम प्रवर्तित हस्त मुद्रा है। यह मुद्रा हिन्दू परम्परा में अधिकतर नृत्य आदि में प्रयुक्त होती है। यह घूमने की या निराकरण की सूचक है।