Book Title: Gautam Pruccha
Author(s): Lakshmichandra Jain Library
Publisher: Lakshmichandra Jain Library

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Page 32
________________ ( २७ ) अर्थात् - जो स्त्री सन्तोषवती, विनीता, सरल चित्तवाळी, स्थिर स्वभाववाली, और सत्यवचन बोलने वाली होती है, वह स्त्री मर कर पुरुषत्वको प्राप्त करती है ॥ २१ ॥ जो पुरुष चपल स्वभावी, शठ, कदाग्रही, माया कपट करके मित्र स्वजनको ठगने वाला, ठग और अविश्वासु होता है, वह मर कर परभव में स्त्री होता है ।। २२ ।। अब इन दोनों उत्तरोंके उपर पद्म-पद्मिनीको कथा कहते है: : - "स्वस्तिमती नगरी में न्यायसार नामक राजा राज्य करता था । उस नगर में एक पद्म नामक सेठ रहता था । वह सत्यवादी और संतोषी था । उसकी स्त्रीका नाम पद्मिनी था । वह बडी रूपवती थी । किन्तु कर्मयोगसे बह मुखरोग से पीडित और काहल स्वरवाली थी । एवं असत्यवादिनी तथा मायाविनी भी थी । सेठने स्त्रीके मुखरोगको मिटानेके लिये अनेक उपचार किये; किन्तु कुछ भी आराम न हुआ । किसी समय उस खीने कपटभावसे अपने पति से कहा कि - हे महाराज ! मुझे आराम नहीं हुआ, अतएव अब आप दूसरी स्त्रीसे शादी करके सुख से रहें ' तब सेठने कहा कि-' मुझे परम सन्तोष है, अतः यह बात कभी मत छेडना ' । C एक दिन सेठ पुराने उद्यानमें गया । वहां मेघकी वृष्टिसे निधान देख कर सेठ वहांसे उठकर घरको Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat देहचिंताके कारण प्रगट हुआ । उसे चला गया । वहां www.umaragyanbhandar.com

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