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विशिष्ट सहयोगी श्रीमती तारादेवी लालचंद जी सिंघवी, कुशालपुरा
श्री घेवरचन्द जी कानूंगा, जोधपुर आचार्यसम्राट् श्री आनन्द ऋषि जी म. आप प्रसिद्ध उद्योगपति हैं। आपका जन्म सा. की कुशालपुरा
सन् १९३६ में गढ़ सिवाना में हुआ। आप (राज.) पर विशेष बहुत ही धर्म श्रद्धालु, दयालु, उदार, कृपा रही है। जहाँ पर दानवीर स्वभाव के हैं। आप एल्कोबेक्स प्रा. सन १९८१ में ऐति- लि. जोधपुर व उदयपुर में स्थापित हासिक चातुर्मास कर इन्डस्ट्रीज के डायरेक्टर हैं। देश-विदेश में उसे भारतवर्ष में अनेक स्थानों पर कार्यालय हैं। राजस्थान विख्यात कर दिया। केसरी उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. एवं वहीं के निवासी सिंघवी मरुधर केसरी जी म. के प्रति विशेष परिवार हाल मुकाम
श्रद्धा-भक्ति रही। वर्तमान में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म., उपाध्याय श्री मद्रास रायपेठ में रहते
कन्हैयालाल जी म. 'कमल', प्रवर्तक श्री रूपचन्द जी म. के प्रति अनन्य हैं। शुरू से ही धर्म- भक्ति है। ध्यान, समाज-सेवा और सन् १९८६-८७ में पड़े भीषण अकाल के समय “अकाल सहायता दानवीरता में अग्रणी समिति के अध्यक्ष के रूप में ५ लाख पशुओं का संरक्षण किया। एक वर्ष
रहे हैं। श्री हेमराज जी तक ९० हजार गायों के लिए निःशुल्क गौशालाओं की व्यवस्था की। सिंघवी ने अपने जीवन-काल में अनेक संस्थाओं को दान देकर कीर्तिमान स्थापित आप ग्लोबल ईस्ट बैंक के निर्देशक हैं। ओसवाल सिंह सभा जोधपुर, किया है। उन्हीं के भाई स्व. श्री लालचन्द जी सिंघवी की धर्मपत्नी श्रीमती सरदार हायर सेकेन्डरी स्कूल, नाकोड़ा कॉमर्शियल कॉलेज में जोधपुर के तारादेवी व उनके सुपुत्र श्री नेमीचन्द जी, धर्मीचन्द जी, महावीरचन्द जी, अध्यक्ष हैं। भ. महावीर विकलांग सहायता समिति, जयपुर के कार्याध्यक्ष हैं। अशोककुमार जी सिंघवी ने भी अनेक संस्थाओं को दान दिया। सन् १९९४ में भ. महावीर शिक्षण संस्थान के तत्त्वावधान में संचालित महिला महाविद्यालय आबू पर्वत पर श्री वर्धमान महावीर केन्द्र में आयंबिल ओली तप कराने का भी के भी अध्यक्ष हैं। लाभ लिया। अभी १५ जनवरी १९९५ को पूज्य गुरुदेव श्री मरुधर केशरी जी की अभी अनेक सामाजिक, व्यापारिक, धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारी हैं। ११वीं पुण्य-तिथि व उपाध्याय चादर समारोह के अवसर पर सोजत सिटी में
आपकी समाज-सेवा एवं उद्योगों के विकसित करने के उपलक्ष्य में प्रवर्तक श्री रूपचन्द जी म. सा. 'रजत' की प्रेरणा से इस “ द्रव्यानुयोग" भाग २
नेशनल प्रेस ऑफ इंडिया के अनुमोदन पर सन् १९९२ में महामहिम का विमोचन किया और विशिष्ट सहयोगी सदस्य बने। अतः सिंघवी परिवार के
राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल जी शर्मा ने "राष्ट्रीय पुरस्कार' प्रदान कर हम बहुत-बहुत आभारी हैं।
आपका विशेष सम्मान किया।
आप अनुयोग ट्रस्ट के विशिष्ट सहयोगी सदस्य हैं।