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३९ किसी की भूल को सुधारने के लिए हमें उसे प्रेम से समझाना चाहिए। किसी को धर्मक्रिया बराबर नहीं आती हों तो उसको सही तरीका बताना चाहिए। किसी का उपहास करना क्षुद्रता है।
___ लोकप्रिय क्यों होना चाहिए? यह एक साधन है, जिससे इन्सान के वचन की कीमत होती है। जो लोग देश, समाज और धर्म के नेता है, उनकी लोकप्रियता दूसरों के लिए प्रेरणा रूप बनती है। आपके अच्छे आचरण से सामने वाले के मन में परिवर्तन आता है। यदि समाज उत्सुकता से सुनने को तैयार न हों तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति ने अपनी लोकप्रियता गंवा दी है।
लोकप्रियता यूं ही प्राप्त नहीं होती। उसके लिए योग्य बनना पड़ता है। जिसमें योग्यता है वह जरूर प्रिय बन सकेगा सब जगह और यदि गुणी होते हुए भी लोग स्वीकार नहीं करें तो हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, विश्व विशाल है, सच्चे गुणों की कद्र करने वाले जरूर मिल ही जाएंगे।
संस्थाए लोगों के त्याग और बलिदान से ही लोकप्रिय बनती हैं, उसके द्वारा सम्पन्न कार्यो में जान तभी आती है, जब धर्मशीलवान स्त्रीपुरूषों द्वारा उसका संचालन होता है।
आज हम जन समुदाय की बातें करते हैं, परंतु उस में सर्वजनों का साथ है? संघ में भी सर्वसम्मति जरूरी है, केवल जी हजूरी करने वालों के साथ होने से बात नहीं बनती। संसार में विजय प्राप्ति के लिए लोकप्रियता का सूत्र हमेशा याद रखना चाहिए। संसार में व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता, सबका समावेश मैत्री और प्रेम से करता है। जिंदगी में इन्सान ही क्या पशुओं की भी जरूरत पड़ती है। गर्व में अंधा व्यक्ति ही ऐसा बोलता है कि, "मुझे किसी की जरूरत नहीं।” “धर्म रत्न प्रकरण' ग्रंथ से हमें ऐसी प्रेरणाएँ मिल सकती है जिससे जीवन की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है।
___ स्वोपार्जित विषमताएं ही हमारी आंतरिक प्रगति में अवरोधक है। पुण्य, पाप, कर्म, तकदीर क्या है? कल तक जो बोया, उसका ही आज परिणाम
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