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पंद्रहवां सद्गुण हमने देखा “दीर्घदर्शिता " ऐसी दृष्टि से तत्क्षण लाभ नहीं, परंतु भविष्य में लाभ होता है । दीर्घदृष्टि व्यक्ति तुच्छ लाभ की खातिर कल के उज्जवल प्रभात को नहीं बिगाड़ता । यदि थोड़ा बहुत सहन करने का वक्त आए तो सहन भी कर लेता है ।
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अब सोलहवाँ सद्गुण है विशेषज्ञ “विशेषज्ञ मनुष्य ।" एसे व्यक्ति के सामने जो वस्तु आती है, उसके गुण, दोष पहचान सकता है। विशेषज्ञ कभी समग्र व्यक्ति का विरोध नहीं करता, वह सोचता है कि एक, दो दुर्गुणों के साथ, दूसरे अन्य सद्गुण भी होंगे। जैसे सुनार सोने की शुद्धता देखता है, वैसे ही वह सामने वाले की विशिष्टता स्वीकार करता है । वह व्यक्ति का नहीं उसके दुर्गुणों का विरोध करता है, उसके गुण दोषों की समीक्षा करता है । जो व्यक्ति के एक आध दुर्गुण को देखकर, उस व्यक्ति का ही विरोध करता है, वह जीवन में कभी उत्कर्ष नहीं साध सकता। आज किसी एक बात पर मतभेद होने पर भी संस्थाऐं, संप्रदाय आदि बटने लगे हैं, अन्य निन्नानवे बातों में यदि एक-मत हों तो इतनी बातों मे तो साथ मिलकर काम करना चाहिए ।
से
विशेषज्ञ
हंस के पास पानी मिश्रति दूध रखने से वह अपनी विशिष्ट शक्ति पी लेता है, पानी छोड़ देता है। हमें भी हंस जैसी विशिष्ट विवेक दृष्टि रखकर जहाँ से जो अच्छा मिले, ग्रहण कर लेना चाहिए, यदि हम अच्छा
दूध
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