Book Title: Dharma Jivan ka Utkarsh
Author(s): Chitrabhanu
Publisher: Divine Knowledge Society

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Page 175
________________ अनुभव की कसौटी वृद्धो को अनुसरण करने से हम कई विपत्तियों में से बच सकते हैं। वृद्ध यानि ज्ञान में वृद्ध । इसीलिए बर्नार्ड शॉ ने कहा कि यदि वर्षों के साथ ज्ञान का संबंध होता तो, लंदन के पत्थरों को अधिक ज्ञानी गिनना चाहिए। ४१ शास्त्रो में चार प्रकार के वृद्ध बताए हैं। ज्ञानवृद्ध, तपोवृद्ध, चारित्रवृद्ध, वयोवृद्ध । तप त्याग द्वारा सुंदर जीवन जिए वो तपोवृद्ध, उसका पूरे समाज पर प्रभाव पडता है, उनके आने पर सब उन्हें आदर-सत्कार देते हैं, शांति वातावरण फेलता है। का चारित्र्य वृद्धि यानि आराधना, निष्कलंक जीवन, सेवाभावी, दुसरों के दुःख देखकर संवेदना के आंसू आँखो में आए, दूसरों के पाप देखकर व्यथा अनुभव करे, ऐसा व्यक्ति पुण्यरूपी चारित्र्य से देदिप्यमान होता है । वयोवृद्ध यानि जीवन फल की परिपक्वता से जिनका जीवन मधुर बना हों, ऐसे लोगों के नेतृत्व से समाज सुखी बनता है । केवल सफेद बाल वाला ही वृद्ध नहीं कहलाता बल्कि जो तपोवृद्ध और श्रुतवृद्ध हो, जिन्होंने खूब श्रवण किया है, बहुश्रुत Well read पुस्तक पंडित और बहुश्रुत में अंतर है। पुस्तक पंडित ने 'बहुत पढा होता है, बहुश्रुत ने बहुत सुना होता है । पढनेवाला कुर्सी पर बैठकर बहुत पढ़ सकता है, परंतु बहुश्रुत को सुनने के लिए त्याग करना पडता है। शिष्यभाव से उपासना १५२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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