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१५८ चाहिए, उसने भी नमन किया। उनके पास रहने की इच्छा दर्शाई, कि उसे वेतन नहीं चाहिए. सिर्फ अपने पास रखे। सिर्फ सेवा करने दें। सरपंच खुश हो गया, लडके को अपने पास रखा, उनके पास वह उन तीन वचनों का पालन करते हुए रहने लगा।
एक बार सरपंच राज्य के महामंत्री के पास कर की रकम भरने गया तो फूलशाल भी साथ गया। सरपंच ने मंत्री को नमन किया, फूलशाल को लगा कि सरपंच से तो मंत्री महान लगते हैं। उसने सोचा इनकी सेवा मांगू। उसने जाकर कहा, “मंत्रीजी, मुझे आपके पास रहकर आज्ञांकित, नम्र एवं सेवाभावी बनना है, मुझे आपके पास रखिए, सेवा का मौका दिजिए।"
व्यक्ति के रूप रंग से अधिक उसका काम प्यारा लगता है, केवल सुंदर होने से कोई सन्मान नहीं देता, अपने कर्मों से व्यक्ति मान-सन्मान पाता है। जो लोकप्रिय बने हैं, वे देश, गाँव, दूसरों के लिए कुछ सत्कार्य कर गये है, इसीलिए लोगों के हृदय में उनके लिए स्थान है। चंदन की सुगंध उसके घिसने पर ही फैलती है, वैसे ही जो दूसरों की सेवा में स्वयं तत्पर रहता है, उस की ही सुगंध समाज में फैलती है। ___लडका अपने सेवा कार्य से, विनय से मंत्री को भी प्यारा लगने लगा। मंत्री राजा के पास गये, वो भी साथ गया, उसके जीवन में एक ही धुन लगी थी कि उन तीनों बातों को जीवन में उतारना है। मंत्रीने राजा को नमन किया, फूलशालने समझा मंत्री ने राजा को नमन किया है, तो इसका मतलब है, राजा मंत्री से महान है, मुझे अब राजा की सेवा करनी चाहिए। __इन्सान यदि फूलशाल की तरह एक ही बात को पकडकर रखे तो देखिए, वह कहाँ तक पहुंच सकता है? वटवृक्ष के एक छोटे से बीज से अत्याधिक विशाल वृक्ष बन सकता है जो हजारों लोगों को शांति, छांव देता है। अपने जीवन में भी गुणरूपी बीज को भूमि, पानी, हवा अच्छे मिल जाएं तो खूब फलता-फूलता है, पूरा जीवन गुणों से सुवासित बन जाता है।
इसलिए हमें भी व्यर्थ की बातों को छोड़कर किसी एक सद्गुण को अपना लेना चाहिए। आज लोगों को कई बातों का आंशिक ज्ञान होता है
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