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विचार उदार, सुंदर होंगे तो विशालता आएगी, जहाँ भी अच्छा दिखे, ग्रहण करना चाहिए, इससे अच्छा प्राप्त होगा, बुरा छुटेगा, दो फायदे हैं। धर्मी के लिए प्रथम भूमिका स्याद्वाद अपनाना है, सबको सुनो, समझो, सबके साथ एकता, समभाव रखो । विद्वान् ब्राह्मणो को भगवान महावीर ने प्रभु
सुना उनके प्रश्नों, शंकाओ का समाधान किया, फिर वो के बन सके,
उनके गणधर बने ।
समाज में काम करनेवालों को जीवन के प्रवाह को समझकर उसके साथ चलना चाहिए । इसका आशय यह नहीं कि बस लकीर के फकीर बने रहें! जीवन की अनेकानेक धाराएं है किसी एक धारा को पकड़ना और दूसरी को छोड़ देना भी यथेष्ट नहीं है। बल्कि उन सभी धाराओं के नियमित एकत्रिकरण को उसके प्रवाह चक्र को समझने की आवश्यकता है।
जीवन में संयोग नाम का कोई स्थान नहीं है । सब कुछ पूर्व सुनियोजित है । वह तो हमने नाम दे दिया है संयोग का । अनायास घटने वाली घटनाएँ भी अक्सर इसी जीवन प्रवाह के सतत संघर्षण का परिणाम है, आवश्यकता है तो बस उसे समझने की । उसके अनुरूप आचरण करने की । Any plan is God. यह विचारों की उदारता यानि स्यादवाद, इसे सापेक्षवाद Theory of Relativity कह सकते हैं।
हमने प्रथम दान तथा उदारता गुण के बारे में चर्चा की, दूसरा गुण है विनय | मोर की सुंदरता उसके पंखो से है, पंख बिना उसकी शोभा नहीं । इसी तरह समाज में काम करने वाले के पास ज्ञान, सत्ता, स्थान सब कुछ होते हुए भी यदि विनय गुण नहीं है तो वह अधूरा ही दिखेगा ।
नेताओं को तो दूसरों को मार्गदर्शन देना है, अपने साथ वाला का गति, शक्ति को भी परखना है । नेता दौड़े और प्रजा पीछे रहे, यह कैसे हो सकता है । गाडी के इंजन और डिब्बों की तरह नेता तथा समाज का संबंध होना चाहिए। यदि नेता ऐसा विचार करता है कि "मैं सत्ता पर हूं, मैं समाज से ऊँचा हूं, समाज तो भेड चाल की तरह चलता है ।" ऐसा सोचने पर
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